पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 5.djvu/२४३

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ऐयारी की गई। बहुत कोशिश की, मगर मैं अपने को सम्हाल न सका और बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ा।

मैं नहीं कह सकता कि बेहोश होने के बाद मेरे साथ कैसा सलूक किया गया। हाँ, जब मैं होश में आया और मेरी आँखें खुलीं; तो मैंने एक सुन्दर सजे हुए कमरे में अपने को हथकड़ी-बेड़ी से मजबूर पाया। उस समय कमरे में रोशनी बखूबी हो रही थी, और मेरे सामने साफ फर्श के ऊपर कई औरतें बैठी हुई थीं, जिनमें मेरी औरत ऊँची गद्दी पर बैठी हुई उन सबकी सरदार मालूम पड़ती थी।

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