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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 6.djvu/१०४

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देई भी बुलाई गई। जब दोनों इकट्ठे हो गए तो उन्हें हुक्म सुना दिया गया।

यह हुक्म यद्यपि साधारण मालूम होता है मगर उन दोनों के लिए ऐसा न था जिन्हें भूतनाथ की बदौलत शाहखर्ची की आदत पड़ गई थी। नानक और रामदेई की आँखों से आँसू जारी थे, जब इन्द्रदेव ने सरयूसिंह को हुक्म दिया कि चार आदमी इन दोनों को ले जायँ और महाराज की सरहद के बाहर कर आवें । सरयूसिंह दोनों को लिए हुए कमरे के बाहर निकल गया।

भूतनाथ--सिर से वोझ उतरा और कम्बख्तों से पीछा छूटा। अच्छा, अब बत- लाइये कि कल क्या-क्या होगा?

गोपालसिंह–-महाराज ने तो यही हुक्म किया है कि कल यहाँ से डेरा कूच किया जाये और तिलिस्म की सैर करते हुए चुनारगढ़ पहुँचें, चम्पा, शान्ता, हरनामसिंह, भरतसिंह और दलीपशाह वगैरह बाहर की राह से चुनार भेज दिये जायें। यदि हमारे किसी ऐयार की भी इच्छा हो तो उनके साथ चला जाये।

भूतनाथ--ऐसा कौन बेवकूफ होगा, जो तिलिस्म की सैर छोड़कर उनके साथ जायेगा!

देवीसिंह--सभी कोई ऐसा ही कहते हैं।

भूतनाथ–-हाँ, यह तो बताइये कि मैंने नानक को जब दरबार में देखा था, तो उसके हाथ में एक लपेटी तस्वीर थी, अब वह तस्वीर कहाँ है और उसमें क्या बात थी?

इन्द्रदेव--वह कागज जिसे आप तस्वीर समझे हुए हैं मेरे पास है, आपको दिखाऊंगा । असल में वह तस्वीर नहीं है, बल्कि नानक ने उसमें एक बहुत बड़ी दर्खास्त लिखकर तैयार की थी, जो दरबार में आकर पेश करना चाहता था, मगर ऐसा कर न सका।

भूतनाथ--उसमें लिखा क्या था?

इन्द्रदेव--जो लोग उसे गिरफ्तार कर लाये हैं, उनकी शिकायत के सिवाय और कुछ भी नहीं। साथ ही इसके उस दर्खास्त में इस बात पर बहुत जोर दिया गया था कि कमला की माँ वास्तव में मर गई है और आज जिस शान्ता को सब कोई देख रहे हैं, वह वास्तव में नकली है।

भूतनाथ--वाह रे शैतान ! (कुछ सोचकर) तो शायद वह दर्खास्त महाराज के हाथ तक नहीं पहुँची?

इन्द्रदेव--क्यों नहीं, मैंने जान-बूझकर उसे ऐसा करने का मौका दिया। वह रात को पहरे वालों से इत्तिला कराकर खुद महाराज के पास पहुँचा और उनके सामने वह दर्खास्त रख दी। उस समय महाराज ने मुझे बुलाया और मुझी को वह दर्खास्त पढ़ने के लिए दी गई। उसे सुनकर महाराज ने मुस्कुरा दिया और इशारा किया कि वह कमरे के बाहर निकाल दिया जाये, क्योंकि इसके पहले मैं शान्ता और हरनामसिंह का पूरा-पूरा हाल महाराज से अर्ज कर चुका था।

भूतनाथ---अच्छा, मुझे भी वह दर्खास्त दिखाइयेगा।

इन्द्रदेव--(उँगली से इशारा करके) वहाँ कारनिस के ऊपर पड़ी हुई है, देख