पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 6.djvu/१०८

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मन्यु की लड़ाई का तमाशा आँखों के सामने दिखाई देने लगा। जिस तरह कौरवों के रचे हुए व्यूह के अन्दर फंसकर कुमार अभिमन्यु ने वीरता दिखाई थी और अन्त में अधर्म के साथ जिस तरह वह मारा गया था, उसी को आज नाटक स्वरूप में देखकर सब कोई बड़े प्रसन्न हुए और सभी के दिलों पर बहुत देर तक इसका असर रहा।

इस तमाशे का हाल खुलासा तौर पर हम इसलिए नहीं लिखते कि इसकी कथा बहुत प्रसिद्ध है और महाभारत में विस्तार के साथ लिखी है।

यह तमाशा थोड़ी ही देर में खत्म नहीं हुआ बल्कि देखते हुए तमाम रात बीत गई। सवेरा होने के कुछ पहले अंधकार हो गया और उसी अंधकार में सब मूरतें गायव हो गईं। उजाला होने और आँखें ठहरने पर जब सभी ने देखा तो उस चबूतरे पर सिवाय इन्द्रदेव के और कुछ भी दिखाई न दिया।

इन्द्रदेव को देखकर सब कोई प्रसन्न हुए और साहव-सलामत के बाद इस तरह वातचीत होने लगी--

इन्द्रदेव--(चबूतरे से नीचे उतर कर और महाराज के पास आकर) मैं उम्मीद करता हूँ कि इस तमाशे को देखकर महाराज प्रसन्न हुए होंगे।

महाराज--बेशक ! क्या इसके सिवाय और भी कोई तमाशा यहाँ दिखाई दे सकता है?

इन्द्रदेव--जी हाँ, यहाँ पूरा महाभारत दिखाई दे सकता है, अर्थात् महाभारत ग्रन्थ में जो कुछ लिखा है, वह सब इसी ढंग पर और इसी चबूतरे पर आप देख सकते हैं मगर दो-चार दिन में नहीं बल्कि महीनों में ! इसके साथ-साथ बनाने वाले ने इसकी भी तरकब की है कि चाहे शुरू ही से तमाशा दिखाया जाए या बीच ही से कोई टुकड़ा दिखा दिया जाये अर्थात् महाभारत के अन्तर्गत जो कुछ चाहें देख सकते हैं।

महाराज--इच्छा तो बहुत कुछ देखने की थी, मगर इस समय हम लोग यहाँ ज्यादा रुक नहीं सकते, अतः फिर कभी जरूर देखेंगे। हाँ, हमें इस तमाशे के विषय में कुछ समझाओ तो सही कि यह काम क्योंकर हो सकता है और तुमने यहाँ से कहाँ जाकर क्या किया?

इन्द्रदेव ने इस तमाशे का पूरा-पूरा भेद सभी को समझाया और कहा कि ऐसे- ऐसे कई तमाशे इस तिलिस्म में भरे पड़े हैं, अगर आप चाहें तो इस काम में वर्षों बिता सकते हैं, इसके अतिरिक्त यहाँ की दौलत का भी यही हाल है कि वर्षों तक ढोते रहिये फिर भी कमी न हो, सोने-चांदी का तो कहना ही क्या है, जवाहिरात भी आप जितना चाहं ले सकते हैं। सच तो यह है, कि जितनी दौलत यहाँ है, उसके रहने का ठिकाना यहीं हो सकता है । इस बगीचे के आस-पास ही और भी चार बाग हैं, शायद उन सभी में घूमना और वहाँ के तमाशों को देखना इस समय आप पसन्द न करें

महाराज--बेशक इस समय हम इन सब तमाशों में समय बिताना पसन्द नहीं करते । सबसे पहले शादी-ब्याह के काम से छुट्टी पाने की इच्छा लगी हुई है मगर इसके बाद पुनः एक दफे इस तिलिस्म में आकर यहां की सैर जरूर करेंगे।

कुछ देर तक इसी किस्म की बातें होती रही, इसके बाद इन्द्रदेव सभी को पुनः