पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 6.djvu/१२१

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इस बाईसवें भाग को समाप्त करेंगे क्योंकि हम दिलचस्प घटनाओं का लिखना ही पसन्द करते हैं।


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आज कुँअर इन्द्रजीतसिंह और आनन्दसिंह की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है क्योंकि तरह-तरह की तकलीफें उठाकर एक मुद्दत के बाद इन दोनों को दिली मुरादें हासिल हुई हैं।

रात आधी से कुछ ज्यादा जा चुकी है और एक सुन्दर सजे हुए कमरे में ऊँची और मुलायम गद्दी पर किशोरी और कुँअर इन्द्रजीतसिंह बैठे हुए दिखाई देते हैं । यद्यपि कुँअर इन्द्रजीत सिंह की तरह किशोरी के दिल में भी तरह-तरह की उमंगें भरी हुई हैं और वह आज इस ढंग पर कुँअर इन्द्रजीतसिंह की पहली मुलाकात को सौभाग्य का कारण समझती है मगर उस अनोखी लज्जा के पाले में पड़ी हुई किशोरी का चेहरा चूंघट की ओट से बाहर नहीं होता जिसे प्रकृति अपने हाथों से औरत की बुद्धि में जन्म ही से दे देती है। यद्यपि आज से पहले कुँअर इन्द्र जीतसिंह को कई दफे किशोरी देख चुकी है और उनसे बातें भी कर चुकी है तथापि आज पूरी स्वतन्त्रता मिलने पर भी यकायक सूरत दिखाने की हिम्मत नहीं पड़ती। कुमार तरह-तरह की बातें कहकर और समझाकर उसकी लज्जा दूर किया चाहते हैं मगर कृतकार्य नहीं होते । बहुत-कुछ कहने- सुनने पर कभी-कभी किशोरी दो-एक शब्द बोल देती है मगर वह भी धड़कते हुए कलेजे के साथ । कुमार ने सोच लिया कि यह स्त्रियों की प्रकृति है अतएव उसके विरुद्ध जोर न देना चाहिए, यदि इस समय इसकी हिम्मत नहीं खुलती तो क्या हुआ, घण्टे-दो-घण्टे, पहरदो-पहर या एक-दो दिन में खुल ही जायगी ! आखिर ऐसा ही हुआ।

इसके बाद किस तरह की छेड़छाड़ शुरू हुई या क्या हुआ, सो हम नहीं लिख सकते, हाँ उस समय का हाल जरूर लिखेंगे, जब धीरे-धीरे सुबह की सफेदी आसमान पर फैाने लग गई थी और नियमानुसार प्रातःकाल बजाई जाने वाली नफीरी की आवाज ने कुंअर इन्द्रजीतसिंह और किशोरी को नींद से जगा दिया था। किशोरी जो कुंअर इन्द्रजीतसिंह के बगल में सोई हुई थी, घबरा कर उठ बैठी और मुंह धोने तथा बिखरे बालों को सुधारने की नीयत से उस सुनहरी चौकी की तरफ बढ़ी, जिस पर सोने के बर्तन में गंगाजल भरा हुआ था और जिसके पास ही जल गिराने के लिए एक बड़ा सा चाँदी का आफताबा भी रखा हुआ था। हाथ में जल लेकर चेहरे पर लगाने और पुनः अपना हाथ देखने के साथ ही किशोरी चौंक पड़ी और घबरा कर बोली, "हैं ! यह क्या मामला है?"

इन शब्दों ने इन्द्रजीतसिंह को चौंका दिया। वे घबड़ा कर किशोरी के पास चले गए और पूछा, "क्यों, क्या हुआ?"