शान्ता को पा जाने से नानक बहुत ही खुश था और सोचता जाता था कि इसे पाकर मां बहुत ही प्रसन्न होगी और हद से ज्यादा मेरी तारीफ करेगी, मैं इसे सीधे अपने घर ले जाऊँगा और जब दूसरी दफे लौटूंगा तो भूतनाथ पर कब्जा करूँगा। इसी तरह धीरे-धीरे अपने सब दुश्मनों को जहन्नुम भेज दूंगा।
कोस-भर निकल जाने के बाद जब नानक एक संकेत पर पहुँचा तो उसके और साथियों से भी मुलाकात हुई जो कसे-कसाये कई घोड़ों के साथ उसका इन्तजार कर रहे थे।
एक घोड़े पर सवार होने के बाद नानक ने शान्ता को अपने आगे रख लिया, उसके साथी लोग भी घोड़ों पर सवार हुए, और सभी ने पूरब का रास्ता लिया।
दूसरे दिन संध्या के समय नानक अपने घर पहुंचा। रास्ते में उसने और उसके साथियों ने कई दफे भोजन किया मगर शान्ता की कुछ खबर न ली, बल्कि जब इस बात का खयाल हुआ कि अब उसकी बेहोशी उतारना चाहती है तब पुनः दवा सुंघाकर उसकी बेहोशी मजबूत कर दी गई।
नानक को देखकर उसकी माँ बहुत प्रसन्न हुई और जब उसे यह मालूम हुआ कि उसका सपूत शान्ता को गिरफ्तार कर लाया है तब तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना ही न रहा । उसने नानक की बहुत ही आवभगत की और बहुत तारीफ करने के बाद बोली, "इससे बदला लेने में अब क्षण-भर की भी देर न करनी चाहिए, इसे तुरन्त खम्भे के साथ बाँधकर होश में ले आओ और पहले जूतियों से खूब अच्छी तरह खबर लो, फिर जो कुछ होगा देखा जायगा। मगर इसके मुंह में खूब अच्छी तरह कपड़ा ढूंस दो जिससे कुछ बोल न सके और हम लोगों को गालियाँ न दे।"
नानक को भी यह बात पसन्द आई और उसने ऐसा ही किया। शान्ता के मुंह में कपड़ा लूंस दिया गया और वह दालान में एक खम्भे के साथ बांधकर होश में लाई गई। होश में आते ही अपने को ऐसी अवस्था में देखकर वह बहुत ही घबराई और जब उद्योग करने पर भी कुछ बोल न सकी तो आँखों से आंसू की धारा बहाने लगी।
नानक ने उसकी दशा पर कुछ भी ध्यान न दिया। अपनी मां की आज्ञा पाकर उसने शान्ता को जूते से मारना शुरू किया और यहाँ तक मारा कि अन्त में वह बेहोश होकर झुक गई। उस समय नानक की मां कागज का एक लपेटा हुआ पुर्जा नानक के आगे फेंककर यह कहती हुई घर के बाहर निकल गई कि इसे अच्छी तरह पढ़ ले, तब तक मैं लौटकर आती हूँ।"
उसकी कार्रवाई ने नानक को ताज्जुब में डाल दिया। उसने जमीन पर से पुर्जा वह उठा लिया और चिराग के सामने ले जाकर पढ़ा, यह लिखा हुआ था-
"भूतनाथ के साथ ऐयारी करना या उसका मुकाबला करना नानक ऐसे नौसिखे लौंडों का काम नहीं है । तू समझता होगा कि मैंने शान्ता को गिरफ्तार कर लिया, मगर खूब समझ रख कि वह कभी तेरे पंजे में नहीं आ सकती। जिस औरत को तू जूतियों से मार रहा है, वह शान्ता नहीं। पानी से इसका चेहरा धो डाल और भूतनाथ की कारीगरी का तमाशा देख ! अब अगर अपनी जान तुझे प्यारी हो तो खबरदार ! भूतनाथ का पीछा