पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 6.djvu/२१४

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"बिना लड़े-भिड़े यों ही गिरफ्तार होकर दुःख भोगना हम लोगों को मंजूर न था, अस्तु फुर्ती से तलवार खींचकर उन लोगों के मुकाबले में खड़े हो गये । उस समय एक ने अपने चेहरे पर से नकाब उलट दी और मेरे पास आकर खड़ा हो गया। असल में वह भूतनाथ था जिसका चेहरा सुबह की सुफेदी में बहुत साफ दिखाई दे रहा था और मालूम होता था कि वह हम दोनों को देखकर मुस्कुरा रहा है।

"भूतनाथ को सूरत देखते ही हम दोनों चौंक पड़े और मुंह से निकल पड़ा'भूतनाथ' । उसी समय मेरी निगाह उस आदमी पर जा पड़ी जिसके पीछे-पीछे हम लोग वहाँ तक पहुंचे थे, देखा कि दो आदमी खड़े-खड़े उससे बातें कर रहे और हाथ के इशारे से मेरी तरफ कुछ बता रहे हैं ।

"मेरे मुंह से निकली हुई आवाज सुनकर भूतनाथ हँसा और बोला, "हाँ, मैं वास्तव में भूतनाथ हूं, और आप लोग?"

मैं--हम दोनों गरीब मुसाफिर हैं ।

भूतनाथ--(हँसकर) यद्यपि आप लोगों की तरह भूतनाथ अपनी सूरत नहीं बदला करता मगर आप लोगों को पहचानने में किसी तरह की भूल भी नहीं कर सकता।

मै--अगर ऐसा है तो आप ही बताइए कि हम लोग कौन हैं ?

भूतनाथ--आप लोग दलीपशाह और अर्जुनसिंह हैं, जिन्हें मैं कई दिनों से खोज रहा हूँ।

मैं--(ताज्जुब के साथ) ठीक है, जब आपने पहचान ही लिया तो मैं अपने को क्यों छिपाऊँ, मगर यह तो बताइये कि आप मुझे क्यों खोज रहे थे ?

भूतनाथ-—इसलिए कि मैं आपसे अपने कसूरों की माफी मांगू, आरजू नू-मिन्नत और खुशामद के साथ अपने को आपके पैरों पर डाल दूं और कहूं कि अगर जी में आवे तो अपने हाथ से मेरा सिर काट लीजिए मगर एक दफे कह दीजिए कि मैंने तेरा कसूर माफ किया।

मैं--बड़े ताज्जुब की बात है कि तुम्हारे दिल में यह बात कैसे पैदा हुई ? क्या तुम्हारी आँखें खुल गई और मालूम हो गया कि तुम बहुत बुरे रास्ते पर चल रहे हो ?

भूतनाथ जी हाँ, मुझे मालूम हो गया है और मैं समझ गया हूँ कि मैं अपने पैर में आप कुल्हाड़ी मार रहा हूँ।

मैं--बड़ी खुशी की बात है अगर तुम सच्चे दिल से कह रहे हो ।

भूतनाथ–बेशक मैं सच्चे दिल से कह रहा हूँ और अपने किये पर मुझे बड़ा अफसोस है।

मैं-भला कह तो जाओ कि तुम्हें किन-किन बातों का अफसोस है ?

भूतनाथ--सो न पूछिये, सिर से पैर तक मैं कसूरवार हो रहा हूँ। एक-दो हों तो कही जाय, कहाँ तक गिनाऊँ ?

मैं--खैर न सही, अच्छा अब यह बताओ कि मुझसे किस कसूर की माफी चाहते हो ? मेरा तो तुमने कुछ भी नहीं बिगाड़ा।

भूतनाथ--यह आपका बड़प्पन है जो आप ऐसा कहते हैं । मगर वास्तव में मैंने