पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 6.djvu/२१५

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आपका बहुत बड़ा कसुर किया है। और बातों के अतिरिक्त मैंने आपके सामने आपरं लड़के को मार डाला है यह कहाँ का

मैं--(बात काटकर) नहीं नहीं भूतनाथ ! तुम भूलते हो, अथवा तुम्हें मालूम नहीं है कि तुमने मेरे लड़के का खून नहीं किया, बल्कि अपने लड़के का खून किया है।

भूतनाथ--(चौंककर बेचैनी के साथ) यह आप क्या कह रहे हैं ?

मैं--बेशक मैं सच ही कह रहा हूँ। इस काम में तुमने धोखा खाया और अपने लड़के को अपने हाथ से मार डाला । उन दिनों तुम्हारी स्त्री बीमार होकर मेरे यहाँ आई हुई थी और अपनी आँखों से तुम्हारी इस कार्रवाई को देख रही थी।

भूतनाथ--(घबराहट के साथ) तो क्या अब भी मेरी स्त्री आप ही के मकान में हैं ?

मैं--नहीं वह मर गई क्योंकि बीमारी में वह इस दुःख को बर्दाश्त न कर सकी।

भूतनाथ--(कुछ देर चुप रहने और सोचने के बाद) नहीं-नहीं, वह बात नहीं है । ऐसा मालूम होता है कि तुमने खुद मेरे लड़के को मारकर अपने लड़के का बदला चुकाया !

अर्जुनसिंह--नहीं-नहीं भूतनाथ, वास्तव में तुमने खद अपने लड़के को मारा है और मैं इस बात को खूब जानता हूँ।

भूतनाथ--(भारी आवाज में) खैर अगर मैंने अपने लड़के का खून किया है तब भी दलीपशाह का कसूरवार हूँ। इसके अतिरिक्त और भी कई कसूर मुझसे हुए हैं,अच्छा हुआ कि मेरी स्त्री मर गई नहीं तो उसके सामने...

मैं--मगर हरनामसिंह और कमला को ईश्वर कुशलपूर्वक रखें।

भूतनाथ--(लम्बी सांस लेकर) बेशक भूतनाथ बड़ा ही बदनसीब है।

मैं--अब भी सम्हल जाओ तो कोई चिन्ता नहीं।

भूतनाथ-–बेशक मैं अपने को सम्हालूंगा और जो कुछ आप कहेंगे वही करूंगा।अच्छा मुझे थोड़ी देर के लिए आज्ञा दीजिए तो मैं उस आदमी से दो बातें कर आऊँ जिसके पीछे आप यहाँ तक आए हैं ।

"इतना कहकर भूतनाथ उस आदमी के पास चला गया मगर उसके साथी लोग हमें घेरे खड़े ही रहे। इस समय मेरे दिल का विचित्र ही हाल था। मैं निश्चय नहीं कर सकता था कि भूतनाथ की बातें किस ढंग पर जा रही हैं और इसका नतीजा क्या होगा, तथापि मैं इस बात के लिए तैयार था कि जिस तरह भीहो सके मेहनत करके भूतनाथ को अच्छे ढर्रे पर ले जाऊँगा। मगर मैं वास्तव मैं ठगा गया और जो कुछ सोचता था वह मेरी नादानी थी।

"उस आदमी से बातचीत करने में भूतनाथ ने बहुत देर की और उसे झटपट बिदा करके वह पुनः मेरे पास आकर बोला, कम्बख्त दारोगा मुझसे चालबाजी करता है और मेरे ही हाथों से मेरे दोस्तों को गिरफ्तार कराना चाहता है।"

मैं--दारोगा बड़ा ही शैतान है और उसके फेर में पड़कर तुम बर्बाद हो जाओगे। अच्छा अब हम लोग भी बिदा होना चाहते हैं। यह बताओ कि तुमसे किस तरह की