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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 6.djvu/२२४

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लक्ष्मी-जी नहीं। अच्छा, यह तो बताइए कि कल कैदी लोगों के विषय में क्या किया जायेगा ? दिलीपशाह का किस्सा तो समाप्त हो गया और अब कोई ऐसी बात मालूम करने के लायक भी नहीं रह गई है।

कुमार-कैदियों का मामला तो कब का साफ हो गया, इस समय तो महाराज ने उनके विषय में हुक्म भी लिखा दिया है, जो कल या परसों तक दरबार में सबको सुना दिया जायेगा।

लक्ष्मी-किस-किसके लिए क्या हुक्म हुआ है ?

इसके जवाब में कुमार ने फैसले का सब हाल बयान किया, जो थोड़ी देर पहले किशोरी और कमलिनी को सुना चुके थे।

लक्ष्मी-बहुत अच्छा फैसला हुआ है।

किशोरी-(हँसकर)क्यों न कहोगी। तुम्हारे दुश्मन तुम्हारे कब्जे में दे दिए गए, अव तो दिल खोलकर बदला लोगी।

लक्ष्मी-बेशक ! (कुमार से) हाँ, यह तो बताइए कि भूतनाथ ने अपनी जीवनी लिखकर दे दी या नहीं?

कुमार-नहीं, आज देने वाला है ।

लक्ष्मी-और हम लोगों को उस तिलिस्मी मकान का तमाशा कब दिखाया जायेगा जिसमें लोग हँसते-हँसते कूद पड़ते हैं ?

कुमार-परसों या कल उसका भेद भी सब पर खुल जायेगा।

लक्ष्मी-अच्छा, यह बताइए कि आपके भाई साहब कहाँ गये हैं ?

किशोरी-(हँसकर, ताने के ढंग पर) आखिर रहा न गया ! पूछे बिना जी नहीं इतने में ही बाहर की तरफ से आवाज आई, "इसमें भी क्या किसी का इजारा है? ये अपनी चीज की खबरदारी करती हैं किसी दूसरे की जमा नहीं छीनती ! बहुत दिनों के बाद जो खोई चीज मिलती है, उसके लिए अकारण पुन: खो जाने का खटका बना ही रहता है, इसलिए अगर उन्होंने पूछा तो बुरा ही क्या किया !" इस आवाज के साथ-ही-साथ कमला पर सबकी निगाह पड़ी, जो मुस्कराती हुई कमरे के अन्दर आ रही थी।

किशोरी-(हँसती हुई)यह आई लक्ष्मीबहिन की तरफदार बीबी नक्को, तुमको यहाँ किसने बुलाया था?

कमला--(मुस्कराती हुई) बुलायेगा कौन ? क्या मेरा रास्ता देखा हुआ नहीं है ? यह बताओ कि तुम लोग इस आधी रात के समय इतना शोर-गुल क्यों मचा रहे हो ?

किशोरी-(मसखरेपन के साथ हाथ जोड़कर) जी, हम लोगों को इस बात की।खबर न थी कि इस शोर-गुल से आपकी नींद उचट जायेगी और फिर सादी चारपाई पर पड़े रहना मुश्किल हो जायेगा।

कुमार--यह कहो कि अकेले जी नहीं लगता, लोगों को खोजती-फिरती हूँ।

कमला--जी हाँ, आप ही को खोज रही थी।

च०स०-6