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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 6.djvu/२२९

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वाले के दिमाग में सांस के रास्ते से चढ़कर उसे बदहोश या पागल बना देता है, और दीवार के ऊपरी हिस्से पर भी कुछ-कुछ बिजली का असर है, जो उस पर पैर रखने वाले के शरीर को शिथिल कर देता है। या और भी किसी तरह का असर कर जाता है। मैं इस बात को खूब जानता हूँ कि लकड़ी पर बिजली का असर कुछ भी नहीं होता, अर्थात् जिस तरह धातु, मिट्टी, जल, चमड़ा और शरीर में बिजली घुसकर पार निकल जाती है उस तरह लकड़ी को छेद कर बिजली पार नहीं हो सकती अतएव मैंने अपने पैर में लकड़ी के बुरादे का थैला चढ़ा लिया, बल्कि जूते के अन्दर भी लकड़ी की तख्ती रख दी, जिसमें दीवार से पैदा होने वाली बिजली का मुझ पर असर न हो, इसके बाद बेहोशी का असर न होने के लिए दवा भी खा ली, इतना करने पर भी जब तक मैं मकान के अन्दर झांकता रहा तब तक अपनी सांस को रोके रहा। मैंने अन्दर की तरफ चलती-फिरती और नाट्य करके हँसाने वाली पुतलियों को देखा और उस पीतल की चादर पर भी ध्यान दिया जो दीवार के ऊपर जड़ी थी और जिसके साथ कई तारे भी लगी हुई थीं। यद्यपि उसका असल भेद मुझे मालूम न हुआ मगर मैंने अपने बचाव की सूरत निकाल ली।

इतना कहकर भूतनाथ ने खंजर की नोक से अपने पायजामे में एक छेद कर दिया और उसमें, से लकड़ी का बुरादा निकाल कर सभी को दिखाया। भूतनाथ की बातें सुनकर महाराज बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने भूतनाथ तथा और ऐयारों की तरफ देखकर कहा, "वास्तव में भूतनाथ ने बहुत ने बहुत ठीक तर्कीब सोची। उस तिलिस्म के अन्दर जो कुछ भेद है हम बता देते हैं, इसके बाद तुम लोग उसके अन्दर जाकर देख लेना । जमानिया तिलिस्म के अन्दर से इन्द्रजीतसिंह एक कुत्ता लाए हैं जो देखने में बहुत छोटा और संग-मर्मर का बना हुआ मालूम होता है और बहुत-सी पीतल की बारीक तारें उस पर लिपटी हुई हैं । असल में वह कुत्ता कई तरह के मसालों और दवाइयों से बना हुआ है । वह कुत्ता जब पानी में छोड़ दिया जाता है तो उसमें से मस्त और बदहोश कर देने वाली भाफ निकलती है और उसके साथ जो तारें लिपटी हुई हैं, उनमें बिजली पैदा हो जाती है। दीवार के ऊपर जो पीतल की चादर बिछाई गई है उसी के साथ वे तारें लगा दी गई हैं और उससे कुछ नीचे हटकर एक अच्छे तनाव का शामियाना तान दिया गया है, जिसमें कूदने वाले को चोट न लगे। इसके अतिरिक्त (भूतनाथ से) जिन्हें तुम पुतलियाँ कहते हो वे वास्तव में पुतलियाँ नहीं हैं बल्कि जीते जागते आदमी हैं जो भेष बदलकर काम करते हैं और एक खास किस्म की पोशाक पहनने और दवा सूंघने के सबब उन सब पर उस बिजली और बेहोशी का असर नहीं होता । इस खेल के दिखाने की तरकीब भी एक ताम्रपत्र पर लिखी हुई है जो उसी कुत्ते के साथ पाया गया था। इन्द्रजीत का बयान है कि जमानिया तिलिस्म में इस तरह के और भी कुत्ते मौजूद हैं ।

महाराज की बातें सुनकर सभी को बड़ा ताज्जुब हुआ, इसी तरह हमारे पाठक महाशय भी ताज्जुब करते और सोचते होंगे कि यह तमाशा सम्भव है या असम्भव ? मगर उन्हें समझ रखना चाहिए कि दुनिया में कोई बात असम्भव नहीं है। जो अब असम्भव है वह पहले जमाने में सम्भव थी और जो पहले जमाने में असम्भव थी वह आज सम्भव हो रही है। 'दीवार कहकहा' वाली बात आप लोगों ने जरूर सुनी होगी।