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चौथा हिस्सा
 

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चौथा हिस्सा ब्योतिपीजी, राजा दिग्विज्ञ यसिंह और रामानन्द । इनके अतिरिक्त एक आदमो मुँह पर नकोच डाले मौजूद था जिसे तेजसिंह अपने साथ लाये थे और उसे अपनी जमानत पर कमेटी में शरीक किया था। | वीरेन्द्र० । (तेजसिंह की तरफ देख कर ) इस नकाबपोश श्रादमी के सामने जिसे तुम अपने साथ लाये ही हम लोग भेद की बात कर सकते हैं १ । | तेज० । हा हा, कोई हर्ज की बात नहीं है। | वीरेन्द्र० } अच्छा तो अब हम लोगों को एक तो किशोरी के पत् लगाने का, दूसरे यहा के तहखाने में जो वहुत सी बातें जानने और विचारने लायक हैं उनके मालूम करने का, तीसरे इन्द्रजीतसिंह के खोजने को बन्दोबस्त सव से पहले करना चाहिये । ( तेजसिंह की तरफ देख कर ) तुगने कहा था कि इन्द्रजीतसिंह को कुछ हाल मालूम हो चुका है ।। तेज० { जी हां, बेशक मैने कहा था श्रीर उसका खुलासा हाल इस समय अापको मालमे हुआ चाहता है, मगर इसके पहले से दो चार बातें राजा साहब से ( दिग्विजयसिंह की तरफ इशारा करके ) पूछा चाहता हूं जो बहुत जरूरी है, इसके बाद अपने मामले में बातचीत करूंगा । वीरेन्द्र० } कोई हर्ज नहीं । दिग्वि० | हा हा पूछिये । । ते३० | अपि यहा शेरसिंह * नाम की कोई ऐयार था ! दिग्वि० । । था, बेचारा बहुत ही नै ईमानदार र मेहनत श्रादगी भी और ऐयारी के पन में धूग यस्ताद था, रामानन्द र गोविन्दसिए इसी के चेले हैं। उसके भाग जाने का मुझे बडा हा र हैं। शोज के दो तीन दिन पहले दूसरे तरह का रञ्च थी मगर श्राज र सैरह का अपत है ।।

  • शेरसिंह, कमला का चाचा, बिग का हाल इस सन्तति के तीसरे त्रोिं में तेरह बदन में लिखा गया है ।