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चन्द्रकान्ता सन्तति
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चन्द्रकान्ता सन्तति मालूम हुआ कि कोई ऊपरी श्रादमी यह लिफाफा देकर चला गया, चोदारों ने उसे रोकना चाहा था मगर वह फुर्ती से निकल गया ।' | महाराज शिवत ने वह लिफाफा लेकर खोला । अपने लडके भी सैन के हाथ का लेख पहिचान बहुत खुश हुए मगर चीटी पढ़ने से तरबूट की निशानी उनके चेहरे पर झलकने लगी । धेठी का मतलब यह् यो :-- “यह जान कर आपको बहुत रञ्ज होगा कि मुझे एक औरत ने यहादुरी से गिरफ्तार कर लिया, मगर क्या करू लाचार हूं, इसका हाल हाजिर होने पर अर्ज करूगा । इस समय मेरी छुट्टी तभी होती है जब आप बीरेन्द्रसिंह के कुल ऐयारो को जो आपके यहा कैद हैं छोड़ दें और वे खुशी राजी से अपने घर पहुचे जॉय । मेरा पता लगाना व्यर्थ है, मैं बहुत ही बेढब जगह कैद किया गया हूँ । आपका शाज्ञाकारी पुत्र चीटी पढ़ कर महाराज शिवदत्त की अजये हालत हो गई । सोचने लगे, या भीम को एक औरत ने पकड़ लिया ! वह वटा होशियार ताकतवर यौर शस्त्र चलाने में निपुण था ! नहीं नहीं, उस औरत ने जरूर कोई धो दिया होगा । पर अब तो उन ऐयारों को छोड़नी ही पा जो मैरी कैद में है। य, किस मुश्किल से थे ऐयार गिरफ्तार हुए थे और अप क्या सहज ही में छोड़े जाते हैं। पैर लाचारी हैं, क्या कर !” । बहुत देर तक मोच विचार कर महाराज शिवदत्त ने करयला ऐयोर को ठुला वर करा, बान्द्रसिह के ऐया का छोड दो । जव तक वे अपने घर न पन हमारा लका एफ अग्त को कैद में नहीं छूटता ।। ६२२० । ( ताऽऽप में ) यह क्या बात हुजूर ने रद्द भै! समझ में इन मा !! f५० | ५.मभेन । एक गारत गिरफ्तार कर लिया है वह ।