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द्वितीय अंक
 


पर्व॰—सच कहती हो अलका! अच्छा, मैं प्रतिज्ञा करता हूँ, तुम जैसा कहोगी, वही होगा। सिंहरण के लिए रथ आवेगा और तुम्हारे लिए शिविका। देखो भूलना मत।

[चिंतित भाव से प्रस्थान]