पृष्ठ:चाँदी की डिबिया.djvu/१४४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
चांदी की डिबिया
[ अड़्क २
 

[ दरवाजे तक जाकर ]

शायद कोई नई बात खड़ी हो जाय। अच्छा यह है कि आप एक वकील कर लीजिये। हम ख़ानसामा को यह साबित करने के लिए तलब करेंगे कि चीज़ वास्तव में चोरी गई। अब मुझे आज्ञा दीजिये, मुझे आज बहुत काम है। ग्यारह बजे के बाद किसी समय मुक़दमा पेश होगा। बंदगी हुजूर, बंदगी मेम साहब! मुझे कल यह डिबिया अदालत में पेश करनी पड़ेगी, इस लिए यदि आपको कोई आपत्ति न हो तो मैं इसे अपने साथ लेता जाऊं।

[ वह डिबिया उठा लेता और सलाम करले चला जाता। बार्थिविक उसके साथ जाने के लिए उठता है, और अपने हाथों को कोट के पीछे रखकर निराश होकर बोलता है ]

मैं चाहता हूँ कि तुम इन बातों में दखल न दिया करो। मगर तुम्हारी ऐसी आदत है कि समझो या न समझो दख़ल हरेक बात

में दोगी। मारा--सब मामला चौपट कर दिया।

१३६