पृष्ठ:चाँदी की डिबिया.djvu/१६८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
चाँदी की डिबिया
[ अड़्क २
 

रुपए न दिए होते, तो उसने ज़रूर दावा किया होता।

रोपर

अब आपको मालूम हुआ कि धन कितना उपयोगी है।

बार्थिविक

मुझे अब भी सन्देह है कि हमें सच को छिपा देना चाहिए या नहीं।

रोपर

चालान होगा।

बार्थिविक

क्या? आपका मनशा है कि इन्हें अदालत में जाना पड़ेगा?

रोपर

हाँ?

१६०