पृष्ठ:चाँदी की डिबिया.djvu/१८६

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चांदी की डिबिया
[ अड़्क ३
 

तुम चाहते हो कि ये लड़कियाँ अनाथालय में भेज दी जायँ!

लिवेंस

हाँ हज़ूर, मेरी तो यही इच्छा है।

मैजिस्ट्रेट

मैं एक हफ़्ते की मुहलत देता हूँ। आज ही के दिन फिर लाना। अगर उसवक्त उचित हुआ तो मैं हुक्म दे दूँगा।

दारोग़ा

आज के दिन हज़ूर!

[ गंजा कांस्टेबिल लड़कियों का कंधा पकड़े ले जाता है। बाप उनके पीछे पीछे जाता है। मैजिस्ट्रेट अपनी जगह पर लौट आता है और झुक कर क्लर्क से सायँ सायँ बातें करता हैं। ]

बार्थिविक

[ हाथ की आड़ से ]

बड़ा करुण दृश्य है रोपर मुझे तो उनपर बड़ी दया आ रही है।

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