पृष्ठ:चाँदी की डिबिया.djvu/४८

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चाँदी की डिबिया
[ अङ्क १
 

मारलो चुपके से सिर हिलाकर भय प्रकट करता चला जाता है। ज़रा देर में एक पीले मुख की युवती को साथ लिए लौटता है। उसकी आँखें काली हैं, चेहरा सुन्दर, कपड़े तरहदार हैं, और काले रंग के। लेकिन कुछ फूहड़ है। सिर पर एक काली टोपी है जिस पर सुफेद किनारी है। उस पर परमा के बैंजनी फूलों का एक गुच्छा बेढंगेपन से लगा हुआ है। मि० बार्थिविक को देखकर वह हक्काबक्का हो जाती है। मारलो चला जाता है। ]

अपरिचित स्त्री

अरे! क्षमा कीजिएगा। कुछ भूल हो गई है।

[ वह जाने के लिए घूमती है ]

बार्थिविक

आप किससे मिलना चाहती हैं श्री मती जी?

अपरिचित

[ रुककर और पीछे की ओर देखकर ]

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