पृष्ठ:चाँदी की डिबिया.djvu/५७

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दृश्य ३ ]
चाँदी की डिबिया
 

बार्थिविक

[ तेज़ आवाज़ में ]

घबड़ाओ मत। तुम्हें गई रात को इन श्रीमती जी से मिलने से इनकार है?

जैक

इनकार! इनकार क्यों होने लगा?

[ स्त्री से धीमे स्वर में ]

तुमने मेरा नाम क्यों बतला दिया? तुम्हारे यहाँ आने की क्या ज़रूरत थी?

अपरिचित

[ आँखों में आँसू भर लाकर ]

मैं सच कहती हूँ मैं नहीं चाहती थी---तुमने उसे मेरे हाथ से छीन लिया था। तुम्हें ख़ूब याद होगा---और उस थैली में मेरे सब रुपए थे। मैं रात ही

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