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चाँदी की डिबिया
[ अड़्क १
तुम्हारे पीछे पाती, लेकिन मैं भम्भड़ नहीं मचाना चाहती थी, और देर भी बहुत हो गई थी---फिर तुम बिलकुल---
बार्थिविक
जाते कहाँ हो, बतलाओ क्या माजरा है?
जैक
[ चिढ़कर ]
मुझे कुछ याद नहीं।
[ स्त्री से धीमी आवाज़ में ]
तुमने ख़त क्यों न लिख दिया?
अपरिचित
[ नाराज़ होकर ]
मुझे रुपयों की अभी इस वक्त ज़रूरत है---मुझे आज मकान का किराया देना है।
[ बार्थिविक की तरफ़ देखती है ]
ग़रीबों पर सभी दाँत लगाए रहते हैं।
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