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चाँदी की डिबिया
[ अड़्क १
कह नहीं रहा हूँ कि मेरे पास एक कौड़ी भी नहीं है?
अपरिचित
[ अपना रूमाल नोचकर ]
देखिए मुझे टालिए नहीं।
[ विनय से दोनों हाथ जोड़ लेती है, तब एकाएक सरोष होकर कहती है ]
अगर तुम न दोगे, तो मैं दावा कर दूंँगी, यह साफ़ चोरी है----चोरी।
बार्थिविक
[ बेचैनी से]
ज़रा ठहर जाइए। न्याय तो यही है कि आपके रुपए दिए जाँय और मैं इस मामले को तय किए देता हूँ।
[ रुपए निकालकर ]
यह आठ पौंड हैं, फ़ाज़िल पैसे थैली की क़ीमत और
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