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पृष्ठ:चाँदी की डिबिया.djvu/९

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अंक १
दृश्य १


परदा उठता है, और वार्थिविक का नए ढंग से सजा हुआ बड़ा खाने का कमरा दिखाई देता है। खिड़की के परदे खिचे हुए हैं। बिजली की रौशनी हो रही है। एक बड़ी गोल खाने की मेज़ पर एक तश्तरी रक्खी हुई है, जिसमें व्हिस्की, एक नलकी और एक चाँदी की सिगरेट की डिबिया है। आधी रात गुज़र चुकी है।


वज़ार दकेबाहर कुछ हल चल सुनाई देती है। दरवाज़ा झोंके से खुलता है; जैक वार्थिविक कमरे में इस तरह आता है, मानो गिर पड़ा है।। वह दरवाज़े का कुण्डा पकड़कर खड़ा सामने देख रहा है और आनन्द से मुसकुरा रहा है। वह शाम के कपड़े पहिने हुए है, और वह हैट लगाए हुए है जो तमाशा देखते वक्त लगाई जाती है। उसके हाथ में एक नीले रंग का मख़मल का ज़नाना बटुआ है। उसके लड़कोंधे चेहरे पर ताज़गी झलक रही है। डाढ़ी और मूँछ मुड़ी हुई है। उसके वाजू पर एक ओवरकोट लटक रहा है।