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पृष्ठ:चाँदी की डिबिया.djvu/९४

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चाँदी की डिबिया
[ अड़्क २
 

एक चायदान उतार कर उसको धोती है, और एक चाय की पुड़िया में से थोड़ी सी बारीक चाय डालती है। उसे अंगीठी पर रखती है, और पास ही एक लकड़ी की कुर्सी पर बैठ कर रोने लगती है।

जोन्स

[ जागकर जमुहाई लेता हुआ ]

ओह तुम हो! क्या वक्त है?

मिसेज़ जोन्स

[ आँखें पोछकर और मामूली आवाज में ]

ढाई बजे हैं।

जोन्स

तुम इतनी जल्द क्यों लौट आई?

मिसेज़ जोन्स

आज आधे दिन काम था, जेम।

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