पृष्ठ:चिंतामणि दूसरा भाग.pdf/१३८

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| १३१ काव्य में रहस्यबाद ढलेक के ५८ वर्ष पीछे सन् १८८५. में जो नया प्रतीक रहस्यवाद’ उठा उसकी प्रवृत्ति भी प्रायः यही चली आती है। कल्पना को एक प्रकार का इलहाम कहना, एक की कल्पना की दूसरे के अन्तःकरण में अज्ञात रूप से प्रवेश बताना, बैठे-बैठे। अन्य देश और अन्यकाल की घटनाएँ देखना, असम-ससीम को राग अलापना, ये सब बाते आजकल' के रहस्यवादी कवि ईट्स ( W. B. Yeats ) की पुस्तक ( Ideas of Good and Evil ) में मौजूद है। यह साम्प्रदायिक प्रवृत्ति कहाँ तक शुद्ध काव्यदृष्टि प्रदान करने में सहायक हो सकती है, विचारने की बात है। यह ठीक है कि भिन्न-भिन्न रहस्यवादी कवियों की दृष्टि में थोड़ाबहुत भेद रहता है, कुछ कवि ‘लोकवाद भी लिए रहते है, पर यह भी उतना ही ठीक है कि सब इस दृश्य और गोचर जगत् से परे एक अभौतिक जगत् की ओर झॉकने का दावा करते हैं। इस सम्प्रदाय के वर्तमान कवियो एक मिस मकाले ( Rose Macaulay ) हैं जिन्होने सन् १९१४ ई० में दो अन्ध देश” ( The Two Blind Countries ) नाम की एक छोटी-सी पुस्तक में अपनी कविताओं का संग्रह निकाला है। इसमें उन्होंने नाना सुन्दर रूपो और व्यापारो से जगमगाते हुए इस भौतिक जगत् का बड़ी सहृदयता से निरीक्षण किया है, पर इसे चारो ओर वेष्ठित किए हुए एक दूसरा मण्डल या जगत् भी उन्हें दिखाई पड़ा है, जो भौतिक न होने पर भी सत्य है । इस अभौतिक जगत् का उन्हें इतना प्रत्यक्ष आभास मिलता है कि कभी-कभी वे सन्देह में पड़ जाती हैं कि वे दोनों में से किस जगत् की है। उनके देखने में नाना कौतुकपूर्ण रूप से युक इस छायामय जगत् मे आत्मा एक परदेसी की तरह घूमती-फिरती आ जाती है। यहाँ वह ज्ञानद्वार की दूसरी ओर से ( अर्थात् अगोचर