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पृष्ठ:चोखे चौपदे.djvu/१२१

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चोखे चौपदे

जीभ तो बेतरह रहे चलती।
चटकना गाल को पड़े खाना॥
मुँह अजब चाल यह तुमारी है।
कूर बच जाय औ पिसे दाना॥

मत सितम आँख मूद कर ढाओ।
तुम बदी से करोड़ बार डरो॥
जो गये वार वार मुँह उन पर।
भौह तलवार की न वार करो॥

तीर सी आँखें, भवें तलवार सी।
और रख कर पास फाँसी सी हँसी॥
डाल फदे सी लटों के फद मे।
मुँह बढ़ा दो मत किसो को बेबसी॥

मुँह बड़े ही भयावने तुम हो।
बन सके हो भले न तो भाले॥
चैन जो था बचा बचाया वह।
बच न पाया चले बचन गोले॥