पृष्ठ:चोखे चौपदे.djvu/१२४

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अन्योक्ति

बात जिस की बड़ी अनूठी सुन।
दिल भला कौन से रहे न खिले॥
है बड़ी चूक जो उसी मुँह को।
चुगलिया गालियां चबाव मिले॥

मत उठा आसमान सिर पर ले।
मत भवें तान तान कर सर तू॥
ढा सितम रह सके न दस मुँह से।
मुँह उतारू न हो सितम पर तू॥

क्या बड़ाई काकुलों की हम करें।
जब रही आँखें सदा उन मे फँसी॥
क्यों न उस मुँह को सराहे पा जिसे॥
जीभ है बत्तीस दांतों मे बसी॥

छेद डाला न जब छिछोरों को।
जब बुरे जी न बेध बेध दिये॥
भौह औ आँख के बहाने तब।
मुँह रहे या कमान बान लिये॥