पृष्ठ:चोखे चौपदे.djvu/४१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
२८
चोखे चौपदे


जो सके बोल बोलियाँ प्यारी ।
तो उसे बोल डालना अच्छा ॥
कान में तेल डाल लेने से ।
कान का खाल ‘डालना अच्छा ॥

छोड़ दो छेड़ छाड़ की आदत ।
मत जगा दो अदावते सोई ॥
है बहुत खोदना बुरा होता ।
देख ले कान खोद कर कोई ॥

तब तमाचा न किस तरह लगता ।
आग जब बेलगामपन बोता ॥
हो रहे जब कि लाल पीले थे ।
तब भला क्यों न लाल मुँह होता ॥

है अगर चाहते कुफल चखना ।
तो बुरी चाहते जगा देखे ॥
मुंह लगाना अगर भला है तो ।
क्यों लहू को न मुँह लगा देखें ॥