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पृष्ठ:चोखे चौपदे.djvu/४०

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केसर की क्यारी


है बहू बेटियाँ जहाँ रहती ।
है दिखाती कलक लीक वही ॥
क्यों न हो झोक ही जवानी की ।
है कभी ताक झाँक ठीक नहीं ॥

क्यों टका सा जवाब उस को दें।
जिस किसी से सदा टके ऐंठे ॥
जो रहें ताकते हमारा मुँह ।
हम उन्ही की न ताक में बैठे ॥

बात ताने की, किसी के भैब की ।
कह न ढे मुंह पर, बचे या चुप रहें ॥
बात सच है, जल मरेगा वह मगर ।
लोग काना को अगर काना कहे ॥

काम मत आप कीजिये ऐसे ।
जो कभी आप को बुरे फल दें ॥
हाथ में लग न जाय मल उस का ।
नाक को बार बार मत मल दें ॥