यह पृष्ठ प्रमाणित है।
३४
चोखे चौपदे
है वही फूला सुखी जो कर सका।
वह न फूला दुख दिया जिस ने सहा॥
फूल जैसा फूल जो पाता नहीं।
दम किसी का फूलता तो क्या रहा॥
मान की चाह है हमे तो हम।
और का मान कर न कम देवें॥
काम साधें कमीनपन न करें।
दाम लेवे मगर न दम देवें॥
धाँधली मे हवा हवस की पड़।
क्यों मचाता अनेक ऊधम है॥
जो रहा राम मे न रमता तो।
दाम दम का छदाम से कम है॥
जो मरम जानते दया का हम।
तो उजड़ता न एक भी खोंता॥
क्यों न होता दुलार दुनिये में।
प्यार का पाठ कठ जो होता॥