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पृष्ठ:चोखे चौपदे.djvu/४९

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चोखे चौपदे


तब भला किस तरह भलाई हो।
भर गई भूल जब कि भेजे में॥
तब सके गाँठ हम कहाँ मतलब।
पड़ गई गॉठ, जब कलेजे मे॥

बन पराया मिले परायापन।
कब तपाया हमे नहीं तप ने॥
और के हाथ मे न दिल दे दे।
दिल सदा हाथ में रखें अपने॥

यात उलझी बहॅक बहॅक न कहे।
बात सुलझी सँभल सँभल बोलें॥
पड़ न पावे गिरह किसी दिल।
लें गिरह बाँध दिल गिरह खोलें॥

बेबसी है बरस रही जिस पर।
तीर उस पर न तान कर निकले॥
यह कसर है बहुत बड़ी दिल की।
ससहुए पर, न दिल कसर निकले॥