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पृष्ठ:चोखे चौपदे.djvu/५५

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चोखे चौपदे

बेबसी बेतरह सताती है।
वह हुआ जो न चाहिये होना॥
थाम कर रह गये कलेजा हम।
कर गया काम आँख का टोना॥

मानता मन नही मनाने से।
तलमलाते है आँख के तारे॥
जागते रात बीत जाती है।
माख के या कि आँख के मारे॥

वह बहुत ही लुभावनी सूरत।
हम भला भूल किस तरह जाते॥
है तुम्हें देख आँख भर आती।
आँख भर देख भी नही पाते॥

आँसुओं साथ तरबतर हो हो।
हैं जलन के अगर पड़ी पाले॥
सूरतों पर बिसरती आँखें।
सेंक लें आँख सेंकने वाले॥