पृष्ठ:चोखे चौपदे.djvu/६१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
४८
चोखे चौपदे

छोड़िये ऐठ मानिये बातें।
किस लिये आप इतने ऐंठे हैं॥
आइये ऑख पर बिठायेंगे।
आज ऑखे बिछाये बैठे है॥

हम तुम्हें देख देख जोयेंगे।
और के मुॅह को देख तुम जी लो॥
हम न बदलेंगे रंग अपना, तुम।
ऑख अपनी बदल भले ही लो॥

हम सदा जी दिया किये तुम को।
तुम हमें जी कभी नहीं देते॥
आँख हम तो नहीं बदलते है।
आप हैं आँख क्यों बदल लेते॥

कुछ पसीजी और जी के मैल को।
एक दो बूँदें गिरा कुछ धो गईं।
देख लो लाचार तुम भी हो गये।
आज तो दो चार ऑखें हो गईं॥