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पृष्ठ:चोखे चौपदे.djvu/७७

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केसर की क्यारी

प्यार जब चाहते नहीं करना।
क्यों न सुन नाम प्यार का कॉखें॥
रग बदला, बदल गये तेवर।
दिल बदलते बदल गई ऑखे॥

कर सके तो कर दिखाये प्यार ही।
वह सितम के खोज ले हीले नही॥
ले भले ही ले दुखाये दिल नही।
छीन ले दिलदार दिल छीले नही॥

है कलह तोर मार का पुतला।
है कपट का उसे मिला ठीका॥
है भरी पोर पोर कोर कसर।
वह बड़ा ही कठोर है जी का॥

हम नहीं आँखें लड़ाना चाहते।
है लड़ाकी आप की आँखें लड़ें॥
आप जी में जल रहे हैं तो जलें।
क्यों फफोले और के जी में पड़ें॥