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पृष्ठ:चोखे चौपदे.djvu/७६

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चोखे चौपदे

देखने दें मूद ऑखों को न दें।
हिल गये क्यो, जो गई है जीभ हिल॥
आप छन भर सोचने देवे हमें।
सब गया छिन, अब न लेवे छीन दिल॥

कुछ नही रग ढग मिल पाता।
हिल गया वह, कभी गया वह खिल॥
क्या भला खीज कर किया दिल ने।
क्या करेगा पसीज करके दिल॥

क्यों हँसी मेरी उड़ाती है हँसी।
बात रंगत मे चुहल की क्यो ढली॥
किस लिये दिल काटने चुटकी लगा।
आप ने चुटकी अगर दिल में न ली॥

प्यार तो हम किया करेंगे ही।
बारहा क्यों न जाय दिल फेरा॥
दिलचले हम बने रहेगे ही।
क्यों न हो दिल दलेल में मेरा॥