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चन्दा
 


चलने को तैयार हुआ, तो वह नहीं भी न कर सका, और सीधे---जिधर शेर गया था, उसी ओर चला । कोल-बालक भी उसके पीछे है। वहां घाव से व्याकुल शेर चिंघ्घाड़ रहा है, इसने जाते ही ललकारा । उसने तत्काल ही निकलकर वार किया। रामू कम साहसी नहीं था, उसने उसके खुले हुए मुंह में निर्भीक होकर बन्दूक की नाल डाल दी; पर उसके जरा-सा मुंह घुमा लेने से गोली चमड़ा छेदकर पार निकल गई, और शेर ने क्रुद्ध होकर दांत से बन्दूक की नाल दबा ली। अब दोनों एक दूसरे को ढकलने लगे;पर कोल-बालक चुपचाप खड़ा है। रामू ने कहा---मार, अब देखता क्या है !

युवक---तुम इससे बहुत अच्छी तरह लड़ रहे हो।

रामू--- मारता क्यों नहीं ?

युवक---इसी तरह शायद हीरा से भी लड़ाई हुई थी, क्या तुम नहीं लड़ सकते ?

रामू---कौन,चन्दा ! तुम हो? आह, शीघ मारो, नहीं तो अब यह सबल हो रहा है।

चन्दा ने कहा---हां, लो, मै मारती हूं, इसे छूरे से हमारे सामने तुमने हीरा को मारा था, यह वही छूरा है, यह तुझे दुःख से निश्चय ही छुड़ावेगा---इतना कहकर चन्दा ने रामू की बगल में छुरा उतार दिया। वह छटपटाया । इतने ही में शेर को मौका मिला, वह भी रामू पर टूट पड़ा और उसका इति कर आप भी वही गिर पड़ा।

चन्दा ने अपना छूरा निकाल लिया, और उसको चांदनी में रंगा हुआ देखने लगी, फिर खिलखिलाकर हंसी और कहा,---'दरद दिल काहि सुनाऊँ प्यारे'! फिर हंसकर कहा---हीरा! तुम देखते होगे, पर अब तो यह छूरा ही दिल की दाह सुनेगा । इतना