पृष्ठ:जगद्विनोद.djvu/९२

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. (९२) जगदिनोद। अथ मदका उदाहरण- सवैया ॥ पूषनिशा सुवारुणीलै बनिबठेहुँमदके मतवाले । त्योंपदमाकर झमै झुकैघन घूमि रचे रसरंग रसाले ॥ शीतको जीतिअभीत भयेसुगनैनसखी कछुशाल दुशाले । छाकछकाछबिहीको पिये मदनैननके किये प्रेमके प्याले ॥ दोहा--धन मद यौवन मद महा, प्रभुताको मदपाय । तापर मदको मदजिन्हैं, को त्यहि मकै मिग्वाय ॥ अति रत अति गति ते जहां, मुअनिवदमरमाय । सोश्रमतहांसुभावये, स्वेद उमाँस मनाय ॥ २३ ॥ अथ श्रमका उदाहरण--लया। करैतिरंगथकीथिर व पर्यकमें प्यारी परीमुख बायकै । त्यों पदमाकर स्वेदके बुन्द रहेकाहलसेतन छायकै । बिन्दुरचेमेहँदीकेलसे करता परयों रह्यो आनन आयकै । इन्दुमनो अरबिन्दपैराजतइन्द्रवधूनके वृन्दबिछायकै ॥ दोहा--श्रम जलकनपलकन प्रगट, लानथकन उमाम । करीखरीविपरीतरति, परीबिसासीपास । २५ ॥ साहस ज्ञान, सुसंगते, धरै धीरता चित्त ।। ताहीसोंधृतिकहतहैं, सुकविसबैनितनित्त ॥ २६ ॥ अथ धृतिका उदाहरण 1-सवैया ॥ रेमनसाहसी साहसराखसुसाहससों सबजेर फिरेंगे। स्पोपदमाकर या सुखमें दुख त्यों दुखमें सुखसेर फिरेंगे।