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पृष्ठ:जमसेदजी नसरवानजी ताता का जीवन चरित्र.djvu/१६

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जीवन चरित्र।


देशकी कारीगरीकी उन्नति चाहने वालोंको समझ लेना चाहिये कि औद्योगिक उन्नतिके लिये सरवेजनजी ऐसे कार्यदक्ष मैनेजर की उतनी ही आवश्यकता है जितनी ताताजी जैसे साहसी और दूरदर्शी पूंजी वालेकी। ताताके मस्तिष्कसे नित्य नये विचार निकलते थे और वेजनजी उनको कार्य-रूपमें लाते थे। कारखाना खोल दिया गया और कपड़े बनने लगे। लेकिन इनसे भी महत्वका काम था कपड़े बेचनेका प्रबंध। अगर जरा भी ढीलापन किया जाता तो विदेशी कारखानोंके मुकाबिलेमें कपड़े पड़े पड़े सड़ जाते या सस्ते दामोंपर निकलकर घाटेपर घाटे लगाते हुए भारत माताके कफनका काम देते। लेकिन परमात्माने ऐसे दो कर्मवीर उत्पन्न कर दिये जो नित्य नये वस्त्रोंसे माताका शृङ्गार करेंगे, उसके लाखों निस्सहाय बालकोंको भोजन और कपड़े देंगे। कपड़े खपानेके लिये बाजारकी तलाश होने लगी। चतुर और अनुभवी एजेंट जगह जगह भेजे गये।

यह सब होनेपर ताता महोदयने मालके भेजनेका भी ठीक प्रबंध कर लिया। इस तरह सब काम दुरुस्त होजाने पर इम्प्रेस मिलका काम ठीक चलने लगा। इसके बाद ताताजीने बड़े बड़े शहरों में घूमघूम कर देखा कि कारखानेके लिये कहांसे कौन सी नई बात सीखी जा सकती है। इसी बिचारसे आप जापान भी गये। वहांसे तरह तरहके विचार लेकर आप बम्बई लौटे।