पृष्ठ:जमसेदजी नसरवानजी ताता का जीवन चरित्र.djvu/१७

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जमसेदजी नसरवानजी ताता-

कहना नहीं होगा कि पहले बहुतसी कठिनाइयां रास्तेमें आई लेकिन कर्मवीरने सबको दूर हटा दिया। कुछ दिनोके बाद तो इस्प्रेस मिलकी दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की होने लगी। सन १९१३ ई॰ के अन्त तक इस कंपनीने २ करोड़ ९३ लाख ४५ हजार ७ रुपये मुनाफेके दिये थे। इसका मतलब यह है कि हर एक हिस्सेपर उसका २॥ गुना मुनाफा दिया जा चुका था। यह तो हुआ। लेकिन ताताजी सिर्फ अपनी या अपने हिस्सेदारोंकी उन्नतिसे संतुष्ट रहनेवाले आदमी नहीं थे। आप अच्छी तरह समझते थे कि जो करोड़ों रुपये हिस्सेदारों में बांटे गये थे वे उन मजदूरों के परिश्रमके फल थे जो थोड़ी तनख्वाहों पर कठिन उद्योग करते रहते हैं।

इस विचारसे कई तरहके इनाम मुकर्रर किये गये। कर्मचारियोंके लिये पुस्तकालय और खेलके स्थान बनवाये गये।

इसके सिवाय ताता महोदयने अंप्रैटिसी का कायदा निकाला। नवयुवक उम्मेदवार होकर आपके कारखाने में काम सीख सकते हैं। कारखाने को अधिकार होगा कि कुछ दिनोके लिये मुनासिब तनख्वाह पर उनको नौकर रखे। दस सालकी कामयाबीके बाद ताता महोदयने सूत कातनेका कारखाना खोलने का विचार किया।

सन् १८८५ ई॰ तक सूत कातनेके बहुतसे कारखाने खुल चुके थे लेकिन बारीक माल पैदा करनेवाला इनमेंसे एक भी न था। ताताजीने सोचा कि अब सिर्फ मोटा माल पैदा करनेसे