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पृष्ठ:जमसेदजी नसरवानजी ताता का जीवन चरित्र.djvu/१९

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जमसेदजी नसरवानजी ताता-


आपने इस देशमें प्रचार किया। नवसारीमें आपने नमूनेके खेत भी बनवाये। इस विषय पर आपने एक छोटी किताब लिख कर प्रकाशित की। हर्षकी बात है कि गवर्नमेंटने इस ओर बड़ा ध्यान दिया है। गवर्नमेंट फार्मोंमें तरह तरहकी कपास बोई जा रही है। गवर्नमेंट इस विषय पर सदा ताता ऐंड सन्स कम्पनीकी सम्मति लेती है।

ताता महोदयने विचार किया कि सिर्फ अच्छी रूई पैदा करनेसे काम न चलैगा। मालके ले जानेका सुविधा होना उतनाही जरूरी था जितना कि अच्छा माल तैयार करना।

उस समय हांगकांग और शंघाईको जानेवाला अधिकतर माल पी॰ ऐंड ओ॰ कम्पनी द्वारा भेजा जाता था। उसके बाद दो और विदेशी कम्पनियोंका नंबर था। ज्यों ज्यों मिलोंकी संख्या बढ़ने लगी त्यों त्यों, ये कम्पनियां अपने स्टीमरोंका किराया बढ़ाने लगीं। मिलवाले घबराने और शोर मचाने लगे। ताता-कारखानेका अधिकतर माल चीन और जापानको जाता था। इसलिये तीनों स्टीमर कम्पनियोंके कुटिल सम्मेलनसे आपको भी हानि हुई।

अपनी और अपने देशकी हानिको देखकर चुपचाप बैठना ताता महोदयके स्वभावके विरुद्ध था। जापान जाकर आपने उस देशकी एक स्टीमर कम्पनीसे बातचीत की। कम किराये पर माल लेजाने पर वह तैयार हुई। ताताजीने अधिकांश मिलों से वादा करा लिया कि वे नई जापानी कम्पनी द्वारा अपना