पृष्ठ:जमसेदजी नसरवानजी ताता का जीवन चरित्र.djvu/४५

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जमसेदजी नसरवानजी ताता-

सन् १९००-१९०१ में उन्होंने एक बंदोबस्त संबंधी विषय पर थानाके कलक्टरका बड़ी जोरसे प्रतिवाद किया था।

खेतीकी बाबत भी मिस्टर ताताको अच्छी वाकफियत थी। कई और रेशमकी कृषीमें तो आप बड़ेही होशियार थे। आपने रुईकी खेतीके सुधारनेका जो यत्न किया था वह पहले बतलाया जा चुका है। रेशमकी खेतीके लिये भी आपने लोगों को बहुत उत्साहित किया। आपने अपनी जापान यात्रामें जो अनुभव प्राप्त किये थे उनका प्रचार किया।

आपने खुद अपनी नवसारीकी वाटिकामें रेशमके कीड़े पाले थे।

आपने अपनी यात्रामें मालूम किया कि चीन और जापानकी खेती और सिंचाईके ढंग हमारे ढंगोंसे बहुत अच्छे हैं। वहांके किसान हमसे अधिक बुद्धिमान और मिहनती होते हैं। थोड़े खर्च में पुरानी रीति पर उन्होंने नयेसे नये वैज्ञानिक औजार बना डाले हैं। ताता चाहते थें कि उन सस्ते उपायोंका इस गरीब देशमें प्रचार हो लेकिन यहां कौन आपकी बात सुनता था!

टेंपरेंसके कामोंमें सदा आपकी सहानुभूति रहती थी। बंबई गवर्नमेंटकी आबकारी नीतिके विरोध करने में आपने माननीय वाचाजीका साथ दिया था।

हिन्दुस्तानकी गरीबीके बारे में आपकी वही राय थी जो स्वर्गीय पितामह दादा भाई नौरोजीकी थी। राजनैतिक मामलों