ध्यान करने लगे। शिक्षाप्रेमी आपके अधूरे रिसर्च इन्स्टीट्यूटको देखकर हताश होने लगे, देश भक्त आपके स्वदेश प्रेमको समझ समझकर पछताने लगे। सबने अपने मन में सोचा कि इस आंदोलनके समयमें लेखक और व्याख्यान दाता बहुतसे होंगे, देशके लिये अपना सर्वस्व बलिदान करनेवाले भी होंगे। राजनैतिक संसारमें बड़े बड़े देशोंके दांत खट्ट करने वाले भी कितने ही निकलेंगे, लेकिन इतना बड़ा व्यवसायी देशकी कारीगरीका इतना बड़ा उद्धारकर्ता जल्द न मिलेगा।
बंबईके प्रसिद्ध आदमियोंकी ओरसे टाउनहालमें एक मीटिंग हुई। छोटे बड़े सब शरीक हुए थे। गवर्नर लार्ड लैमिंगटन सभापतिके आसन पर विराजमान थे। मुख्य वक्ता थे प्रजाप्रिय चीफ जस्टिस सर लारेंस जैकिंस। आपका व्याख्यान बड़ा ही ओज पूर्ण और हृदय ग्राही था। आपने उचित शब्दों में ताता महोदयके अतुलनीय गुणोंका वर्णन किया। दान, कलाकुशलता, व्यवसायपटुता, देशभक्ति आदि गुणोंका वर्णन करते हुए आपने बतलाया कि मिस्टर तातामें सादगी हद दरजेकी थी। इसके साथ साथ सदाचार, निरभिमान और निर्लोभने आपका स्थान और भी ऊंचा बना दिया था।
मिस्टर ताताने कर्तव्य हीको अपने जीवनका आदर्श बनाया था। आदर और मानकी तलाशमें आप कभी नहीं गये, वे स्वयं इनकी खोजमें लगे रहे। जेंकिंस साहब ताता जीके अंतरंग मित्र थे। अपने तजरबेसे आपने बतलाया कि जहां ताता जीका