सार्वजनिक जीवन सफलता और उपकार पूर्ण था वहां निजी जीवन में भी आप बड़े ही सर्वप्रिय थे। आपके साथका आनंद वे ही लोग जानते हैं जिनको सौभाग्यसे वह सुख प्राप्त हुआ था। भोजनके समय आप अपनी आनंदवार्ता और विनोदपूर्ण कहानियोंसे सबको प्रसन्न करते रहते थे। अपनी जापान यात्राके बाद आप सदा जापानियोंकी प्रशंसा किया करते थे।
जेंकिंस साहबने बहुत ठीक कहा है कि ताताजी काम करने वाले आदमी थे। सूखे कुए में खाली डोल डालनेके आप पक्षपाती नहीं थे। लेक्चर देनेकी आदत आपमें नहीं थी। इससे यह नहीं समझना चाहिये कि आपमें भाषण शक्ति नहीं थी। सर फिरोजशाहमेहताके आग्रह पर आप एक दफा बोले थे जिससे पता चलता है कि अगर आप वक्ता बनना चाहते तो आपका स्थान इस देशके व्याख्यान दाताओं में बहुत ऊंचा होता। लेकिन आप तो दूसरे और विशेष महत्वके कामोंके लिये बनाये गये थे।
जैकिंस साहबने अंतमें कहा कि जहां ताताने बड़ेसे बड़े काम उठाये, वहां उद्योग और सदाचारके छोटेसे छोटे काममें भी आपकी सहानुभूति रहती थी, आपसे सहायता मिलती थी।
लार्ड लैमिंगटन महोदयने भी ताताजी की मुक्तकंठसे प्रशंसा की। आपने कहा कि ताताजीका सबसे बड़ा गुण था उनका व्यवसाय पूर्ण परोपकार। इस बातमें आपका मुकाबिला करनेवाला हिन्दुस्तानसें दूसरा आदमी अभीतक नहीं पैदा हुआ।