पृष्ठ:जमसेदजी नसरवानजी ताता का जीवन चरित्र.djvu/६०

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जीवन चरित्र।

ताताजी में खास बात यह थी कि उन्होंने व्यवसायमें सदा धर्म और सदाचार पर ध्यान दिया। कुछ लोगोंका ख्याल है कि झूठ और चालबाजीके बिना व्यवसाय चलही नहीं सकता है। उनको मिस्टर ताताकी जिंदगीसे सबक सीखना चाहिये। इम्प्रेस मिलके संबंध में आपने एक बड़ा भारी सुधार किया था। पुरानी प्रथा यह थी कि एजेंट लोग तैयार माल पर कमीशन उगाहते थे। लेकिन ताताजीने कहा कि उनको सिर्फ उतने काम पर कमीशन मिलना चाहिये जितना उनके प्रबंधमें किया जाता है। मत, बिरादरी और जातिके भेद आपके चित्तमें कभी प्रवेश नहीं करने पाते थे। आप जो काम करते थे अपने देशकी भलाई के ख्यालसे करते थे, भारतमाताका मस्तक ऊंचा करनेके विचारसे करते थे। अंगरेजी में एक कहावत है Charity begins at home, (दान घरसे आरंभ करना चाहिये) मिस्टर ताता कहते थे कि यह ठीक होसकता है कि दानका आरंभ घरसे किया जाय लेकिन उसकी इतिश्री घरपर नहीं होनी चाहिये।

मेहताजीने कहा कि ताता स्मारक केवल उस वीर और पवित्र आत्माके आदरके लिये नहीं बनाया गया है बल्कि उसका मुख्य प्रयोजन है कि वह दीपस्तम्भकी तरह अंधेरेमें भूले भटके भाइयोंको कर्तव्य मार्ग दिखलावै।

गवर्नर साहबने निन्नलिखित वचनोंसे मूर्त्ति परसे परदा हटा दिया।