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पृष्ठ:जमसेदजी नसरवानजी ताता का जीवन चरित्र.djvu/६१

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जमसेदजी नसरवानजी ताता-

देवियों और सज्जनों! सात बरससे अधिक होगये कि टाउनहालमें महाशय जमसदजी नसरवानजी ताताके स्मारकके लिये सभा हुई थी। वह एक अपूर्व सभा थी जिसमें ताताजीके गुणोंके वर्णनमें हृदयग्राही व्याख्यान हुए थे। उस समयके उपस्थित सज्जनों में बहुत से यह लोक छोड़ गये और बहुतसे हिन्दुस्तानके बाहर चले गये। फिर भी उनमेंसे बहुतसे महाशय आज भी मौजूद हैं। उनको यह देखकर प्रसन्नता होगी कि अंत में बंबई वासियोंकी अभिलाषा पूर्ण हुई। आप शायद कहैं कि विलंब अधिक हुआ। लेकिन ऐसे काममें समय लगता ही है। विलंबसे एक बात अच्छी हुई। इतने दिनों में ताताजीके जीवनके तीनों बड़े काम लगभग पूर्ण होगये। साकचीका लोहेका कारखाना अच्छी तरह चल रहा है। गत जुलाईमें रिसर्च इन्स्टीट्यूट का पहला सेशन शुरू होगया। हाइड्रोएलेक्ट्रिक स्कीममें भी खूब सफलता होरही है। अस्तु ताताजीके जिन कामोंका स्मारक बनवाया जारहा है वे सब ठीक उतर गये। मेरे लिये बड़ी असुविधाकी बात यह है कि ताताजीके दर्शन मुझको न हो पाये थे। ताताजी में वैज्ञानिक विचार और काम करनेकी अपार शक्ति का साथ साथ संयोग हुआ था। उनके जीवनका सबसे बढ़कर उद्देश्य था भारतीय कारीगरीका उद्धार। आपने सोचा कि प्रकृतिने सभी जरूरी चीजें इस देशमें बनाई हैं। उनको यह भी मालूम था कि शिक्षा मिलनेपर हिन्दुस्तानी उन चीजोंका उचित उपयोग भी कर सकते हैं। इसी विचारसे रिसर्चइन्स्टीट्यूट