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पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/१०

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राज्यको प्रजाको वह सुन्दर रिपोर्ट लिखी है कि बैंसी रिपोर्ट देशी रियासतों में तो कहां आरसके अंगरेजी इलाकोंकी भी बहुत कम है। ... अब कुछ बातें उनके साहित्यसेवा संवंधकी लिखी जाती है। उप्तको दो विभाग हैं एक उर्दू विभाग जिसमें उन्होंने बहुत पुस्तके लिखी हैं। उनमेसे अधिक इतिहास नीति और स्त्रोशिक्षाके विषय में हैं। गुलदस्तवेअदब, तालीमउन्निया और तवारीख मारवाड़ नामको पुस्तकों के लिये उन्हें युक्त प्रदेशको सरकारसे इनाम मिला । एक पुस्तक उन्होंने उर्दू में कविता करनेवाले हिन्दूकवियोंके विषय में बहुत सुन्दर लिखी है। हिन्दीमें आपने जो पुस्तकें लिखी हैं । उनके भो दो विभाग है-एक तो वह जो मारवाड़ दरबारके लिये उता दरबारको आज्ञासे बनाई गई हैं। वह मारवाड़ में भी काम आती हैं और बाहर भी जाती हैं। उनमेंसे तीन तो मारवाड़ राज्यको तीन सालको रिपोर्ट हैं जिनमें सन १८८३-८४ ईखोसे १८८५-८६ तकका वर्णन है। एक सन् १८८१ ईखोकी मर्दुम- शुमारीको रिपोर्ट है जिसके लिये उन्हें ५००) इनाम मिला। इसके पहले भागमें उमर, जाति और पेशे सहित मनुष्यगणना लिखी गई है। दूसरे भागमें मालाणी मारवाड़के कुल गांवों को परगनेवार लिष्ट अकारादि क्रमसे मनुष्य गणना मालिकोंके नाम और स्थानों का फासिला लिखा गया है। तीसरे भागमें मारवाड़में बसनेवाली सब जातियोका हाल उनके पेथे और उनके चालचलनको जरूरी बातें कितनेही कामके चित्रों सहित दी हैं। उसमें एक एक मांव को सूची, मनुष्यगणना आदि बहुतसी कामको बातें लिखी हुई हैं। तेरह अलग अलग पुस्तकों में मारवाड़ राज्यके दीवानी फौजदारी और दूसरे प्रवन्ध संबंधी कायदे कानून लिखे हैं। . • दूसरे विभागको हिन्दी पुस्तके वह हैं जो आपने अपनी रुचिसे लिखी हैं। यह हिन्दी साहित्यको सेवाके लिये लिखी गई हैं। इनमें से कुछ छपी हैं कुछ लहीं छपी और कुछ अधूरी हैं। इनकी सूची इस लेखके अन्त में दोगई है। .