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पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/१२२

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जहांगीरनामा।

जहांगीरकुलीको मृत्यु।

२० (जेठ बदी ७) मंगलको इसलामखांकी अरजीसे जहांगीरकुलीखां सूबेदार बंगालेके मरनेका वृत्तान्त सुनकर बादशाहको रंज हुआ। यह उसका निजदास था और सुयोग्यतासे बड़े अमीरों को पांतिमें जा मिला था। बादशाहने बंगालेका शासन और शाहजादे जहांदारका संरक्षण इसलामखांको सौंपा और अफजल- खांको उसको जगह बिहारको सूवेदारी पर भेजा।

करनाटकके बाजीगर।

हकीमअलीका बेटा बुरहानपुरसे करनाटकके कई बाजीगरोंको लाया जो १० गोलियोंका खेल करते थे। बड़ीसे बड़ी गोली नारङ्गीके और छोटी घूंघचीके समान थी। पर एक भी इधर उधर नहीं होती थी। एसेही और भी कई करतब करते थे जिनको देखकर बुद्धि चकित होजाती थी।

देवनक पशु।

ऐसेही सिंहलदीपसे एक फकीर देवनक नामका एक पशु लाया जिसकीं सूरत बन्दरसे मिलती थी परन्तु पूंछ न थी। और कला बनमानसकीसी करता था। बादशाहने उसके कई चित्र खिचवाये जिनमें उसके कितनेही चरित्रोंको अङ्कित किया गया था।

फरङ्गी पर्दा।

मुकर्रबखांने खम्भाता बन्दरसे फरंगियोंका बनाया एक पर्दा भेजा। बादशाहने फरंगियोंका बनाया हुआ उतना कारीगरीका काम और कोई नहीं देखा था।

नजीबुन्निसा बेगम।

बादशाहको चची या फूफी (क्योंकि दोनोंके वास्ते अरबीका एकही शब्द है) ६१ वर्षको अवस्थामें मर गई। बादशाहने उसके बेटे मिरजावालीको हमारी जात और दोसौ सवारोंका मनसब दिया।