पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/१३०

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जहांगीरनामा।

परतला खिलअत और खासेका हाथी पाकर दक्षिणको बिदा हुआ। राजा सूरजसिंह भी उसके साथ भेजा गया और उसका मनसब तीन हजारी जात और दोहजार सवारोंका होगया।

गुजरात।

बादशाहने मुरतिजाखांके भाइयों और नौकरोंका प्रजा पर अन्याय करना सुनकर गुजरातका सूबा उससे छीन लिया और आजमखांको दिया। आजमखां तो हुजूरमें रहा और उसका बड़ा बेटा जहांगीरकुलीखां तीन हजारी जात और अढ़ाई हजार सवारों का मनसब पाकर बापकी नायबीमें गुजरातको गया। बादशाहने उसको मोहनदास दीवान और मसऊदखां बखशीकी सलाहसे काम करनेका हुक्म दिया।

बलन्द अखतर।

४ जिलहज्ज (फागुन सुदी ६) बुधवारको खुसरोके घरमें खान- आजमको बेटीसे लड़का उत्पन्न हुआ। बादशाहने उसका नाम बलन्द अखतर रखा।

६ (फागुन सुदी ८) को मुकर्रबखांने एक तसबीर भेजी जिसे फरंगी अमीर तैमूरकी बताते थे। जब उनकी फौजने रूमके बाद- शाह एलट्रम बायजीदको पकड़ा तो अस्तम्बोलके ईसाई हाकिमने एक दूत सौगातसहित अमीरके पास भेजा था। उसके साथ एक चित्रकारभी था वह अमीरकी तसवीर खेंच लेगया था। बादशाह लिखता है--"जो यह बात कुछ भी सच होती तो कोई पदार्थ इस चित्रसे बढ़कर मेरे समीप नहीं था पर यह तो अमीर और उनके बेटों पोतोंकी सूरतसे कुछ भी नहीं मिलती इसलिये पूरी प्रतीत नहीं होती।"

चौथा नौरोज।

१४ (चैत बदी १) शनिवारको रातको सूर्य्य मेखमें आया। चौथा नौरोज हुआ।

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