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पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/१३८

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जहांगीरनामा।

भेट भी हुई। खानआजमने चार हजार रुपयेका एक मोती नजर किया। महाबतखांने भेटमें फरंगियोंका बनाया हुआ एक सन्दूका दिया जिसके आसपास बिल्लौरके तख्ते लगे हुए थे। उनमेंसे भीतर की वस्तु दिखाई देती थी।

फतहउल्लह शरबतचीका बेटा नसरुल्लह भेटका भाण्डारी नियत हुआ।

सारंगदेव जो दक्षिणके लशकरमें आज्ञापत्र पहुँचानेके लिये नियत हुआ था बादशाहने उसके हाथ परवेज और हरेक अमीर के वास्ते कुछ कुछ निजकी चीजें भेजीं।

दूसरे दिन बादशाहने सवारी करके दो सिंह और सिंहनीका शिकार किया। अहदियोंको जो बहादुरी करके सिंहसे जा लिपटे थे इनाम दिया और उनके वेतन बढ़ाये।

२६ (चैत बदी १३) को बादशाह रूपवास(१) में आकर कई दिन तक वहां इरनोंका शिकार खेलता रहा।


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(१) अब यह रूपबास भरतपुर राज्यमें है।