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संवत् १६६६।

चार पांच हजार सवारोंसहित बादशाहने खानजहांको सहायतापर नियत किया। मोतनिदरखांको उनके पास भेजा कि साथ जाकर उनको उज्जैनमें खानजहांके पास पहुँचा दे।

दरीखाने अर्थात दरबारमें रहनेवालोंमेंसे सैफखां आदि छः सात हजार सवारोंकी नौकरी भी खानजहांको साथ बोली गई। उनको भी मनसबकी वृद्धि मदद खर्च और सिरोपावसे सन्तुष्ट किया गया ।

मुहम्मदी बेग इस लशकरका बखशी नियत हुआ और १० लाख रुपये उसको खर्चके वास्ते दिये गये।

शिकार।

बादशाह लशकरको बिदा करके शिकार खेलनेके वास्ते शहरसे निकला। रबीकी फसल उस समय पक गई थी। इसलिये बाद-शाहने उसकी रक्षाके हेतु 'कोरियसावल(१)' को तो बहुतसे अहदियोंके साथ पहलेही भेज दिया था। अब कई मनुष्योंको हुक्म दिया कि हर कूचमें जितनी फसलकी हानि हो उसका अन्दाजा करके प्रजाको मूल्य देदिया जावे।

२२ (फागुन बदी ९) को जब कि बादशाह एक नीलगायको गोली मारना चाहता था अचानक एक जिलोदार (अर्दली) और दो कहार आगये। नीलगाय भड़ककर भाग गई। बादशाहने क्रोधमें आकर हुक्म दिया कि जिलोदारको इसी जगह मार डालें और कहारों के पांव कटवाकर उनको गधे पर चढ़ावें और लशकरके आसपास फिरावें जिससे फिर कोई ऐसा साहस न करे।

पांचवां नौरोज।

१४ जिलहज्ज (फागुन बदी ११) रविवारको दो पहर तीनघड़ी दिन चढ़े सूर्य्य देवताका रथ मेख राशि पर आया। बादशाह गांव बाकभल परगने बाड़ीमें पिताकी प्रथाके अनुसार सिंहासनपर बैठा। दूसरे दिन नौरोज था और पांचवें सनके फरवरदीन महीनेको पहली तारीख थी। बादशाहने सवेरेही आमदरबार करके सब अमीरों और कर्म्मचारियोंका सलाम लिया। बाजे अमीरोंकी


(१) बादशाही हथियार रखनेवाला चोबदार।

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