सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/१५६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सातवां वर्छ । सन् १०२०। चैत्र सुदौ ३ संवत् १६६८ से फागुन सुदी २ संवत् १६६८ तक। गैंडा राजधानीमें प्रवेशका मुहूर्त समीप आजानेसे बादशाह २ मुह- रंम (चैत्र सुदी ३) गुरुवारको अबदर्रज्जाक मामूरीके बाममें आया। खाजाजहां वगैरह आगरेसे वहां आगये। खानखानांके बेटे एरजने भी जो दक्षिण बुलाया गया था वहीं उपस्थित होकर मुजरा किया। शुक्राको भी बादशाह उसी बागमें रहा। अबदुरंबाकने अपनी भेट दिखाई। शिकारको संख्या। तीन महीने बीस दिन में १४१४ पशु पक्षी शिकार हुए थे- सिंह १२ खरगोश नीलगाय १०८ चिवारे मछलियाँ १०८६ कोतापाचा उकाब हरनके बच्चे तमदरी काले हरन मोर हरनी करवानक लोमड़ी तीतर कोराहरन सुरखाब १ पातख सारस रोछ ढीक १४१४ आगर में प्रवेश। ४ मुहर्रम २८ असफंदार (चैत्र सुदी ५ संवत् १६६८) शनिवार AY