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पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/१८३

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संवत् १६७०।

वह अलग अलग ही रहे। पर इन दिनों एक चीता पट्टा तुड़ा कार मादा पर जापड़ा। अढ़ाई महीने पीछे तीन बच्चे जन्मे और बड़े हुए।

इसी प्रकार एक सिंहनी भी गर्भवती हुई और तीन महीने पीछे बच्चा जना। बादशाह लिखता है कि मेरे समयमें पशुओंकी चमक निकल गई है सिंह ऐसे हिल गये हैं कि झुण्डके झुण्ड लोगोंमें खुले फिरते हैं और किसीको नहीं सताते। यह कभी नहीं हुआ या कि जङ्गली शेर पकड़े जानेके पीछे सिंहनीसे संग करे और बच्चे हो। हकीमोंसे सुना गया था कि सिंहनीका दूध आंखोंकी ज्योति के वास्ते बहुत गुण करता है मैंने बहुत परिश्रम किया कि उस ब्याई हुई सिंहनीका दूध हाथ लगे पर उसके बच्चे को पकड़वाकर थनोंमें हाथ डाला तो क्रोधसे उसका दूध सूख गया।

बादशाह खरबूजोंकी बाडी में।

ख्वाजाजहांने शहर के पास खरबूजे बोये थे। बादशाह १० सरदाद (जेठ सुदी ११) गुरुवारको नाव में बैठकर वहां गया महल के लोग भी साथ थे। दो तीन घड़ी रात गये वहां पहुंचा। रात बड़ी भयङ्कर थी। आंधी आई डेरे तम्बू उड़ गये बादशाहने नाव में रात बिताई। शुक्रवारको खरबूजे खाकर शहर में आगया।

अफजलखांकी मृत्य।

अफजलखां जो बहुत दिनोंसे फोड़े फुंसियोंका कष्ट भोग रहा था मर गया।

राजा जगमन।

राजा जगमनले दक्षिणकी नौकरोमें कुछ चूक होगई थी इस लिये बादशाहने उसकी जागीर छीनकर महाबतखांको देदी।

दीवानखानेके कटहरे।

दीवादखाने खास और आममें दो कटहरे लकड़ीके लगाये जाते थे। पहले कटहरेमें तो अमीर एलची और आबरूवाले लोग रहते थे इसमें बिना आज्ञा कोई नहीं जासकता था। दूसरा