पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/१८४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१६८
जहांगीरनामा।

पहिलेने अधिक चौड़ा था उसमें तमाम नौकर और वह लोग जिन पर नौकरीका नाम लगा हुआ था जगह पाते थे। इस कट- हरके बाहर अमीरों और सब लोगोंके नौकर जो दीवानखानेमें आते थे खड़े रहते थे।

पहिले और दूसरे कटहरे में कोई विशेषता नहीं थी इसलिये बादशाहने पहिले कटहरेको और उस नालको जो इस कटहरेमेंसे झरोखे पर लगाई गई थी और उन दोनों हाथियों को जो झरोखे की बैठकके दोनों ओर कारीगरोंने बनाये थे चान्दीसे मढ़ देनेका हुक्म दिया। जब यह काम बन चुका तो बादशाहको सुनाया गया कि इसमें १२५ मन चान्दी लगी है। बादशाह लिखता है कि इससे बड़ी शोभा होगई और ऐसाही होना भी चाहता था।

पागल कुत्ता।

एक शाही हाथी और एक हथनीको पागल कुत्तेने काटा। कुत्ते को हाथीने मारडाला था तोभी एक महीने पांच दिन पीछे हथनी बादलकी गर्ज सुनकर चिल्लाई कांपी गिरी फिर खड़ी हुई। सात दिनतक उसके मुंहसे पानी बहता रहा। आठवें दिन मरगई। कोई दवा नहीं लगी। इससे एक महीने पीछे हाथीको पानीके किनारे जंगलमें लेजाते थे कि इतने में बादल उमड़ा और गरजने लगा हाथी उस समय मस्तीमें था तोभी कांपकर बैठ गया महावत लोग बड़ी कठिनतासे उठाकर स्थान पर लाये ७ दिन पीछे यह भी उसी प्रकारसे मर गया।

बादशाह बड़े अचरजसे लिखता है कि इतने बड़े डीलडौलका जन्तु इतने छोटे जीवके काटनेसे मर गया।

दक्षिण।

खानखानांने शाहनवाजखांको बुलाया था इसलिये बादशाहने सावन सुदी ११ को उत्ते दक्षिण जानेको आज्ञादी।

राखी।

बादशाह लिखता है--"हिन्दुओंके चार वर्ण ठहराये गये हैं